श्वेत स्राव (ल्यूकोरिया/वाइट डिस्चार्ज) जिसे सफेद पानी के नाम से भी जाना जाता है, महिलाओं में एक सामान्य समस्या है। यह समस्या हल्की और असामान्य स्थिति दोनों हो सकती है। इसमें मुख्य रूप से गर्भाशय ग्रीवा बलगम, योनि कोशिकाएँ और तरल पदार्थ शामिल होते हैं, और यह एक प्राकृतिक सफाई तंत्र के रूप में कार्य करता है, जो योनि स्नेहन और पीएच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है | वाइट डिस्चार्ज क्यों होता है इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं लेकिन इसका मुख्य कारण महिलाओं के प्रजनन तंत्र से जुड़ा होता है इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि वाइट डिस्चार्ज क्यों होता है, इसके लक्षण, कारण और इससे निपटने के घरेलू उपाय क्या हो सकते हैं।
वाइट डिस्चार्ज क्यों होता है? (What is White Discharge)
वाइट डिस्चार्ज जिसे हिंदी में सफेद पानी कहा जाता है, महिलाओं के लिए एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। यह योनि से निकलने वाला तरल पदार्थ है जो स्वाभाविक रूप से शरीर की सफाई और स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करता है। मासिक धर्म चक्र के दौरान, हार्मोनल उतार-चढ़ाव – विशेष रूप से एस्ट्रोजन में – मात्रा और स्थिरता में सामान्य बदलाव का कारण बनता है । हालाँकि, जब स्राव के साथ असुविधा, असामान्य रंग, गंध या लगातार बने रहना होता है, तो यह एक रोग संबंधी स्थिति का संकेत हो सकता है।
वाइट डिस्चार्ज के कितने प्रकार होते हैं? (Types of White Discharge)
वाइट डिस्चार्ज कई प्रकार का हो सकता है जो कि निम्नलिखित है:
1. वाइट डिस्चार्ज
यह सामान्यतः गाढ़ा और पारदर्शी होता है। यह मासिक धर्म के दौरान या ओव्यूलेशन के समय बढ़ सकता है। यह आमतौर पर स्वस्थ होता है और शरीर की स्वच्छता को बनाए रखने में मदद करता है।
2. पीला डिस्चार्ज
यदि वाइट डिस्चार्ज का रंग पीला हो जाए, तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है। यह आमतौर पर बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण के कारण होता है और इसके साथ खुजली या जलन भी हो सकती है।
3. हरा डिस्चार्ज
हरा रंग का डिस्चार्ज आमतौर पर बैक्टीरियल संक्रमण या अन्य समस्याओं का संकेत होता है। यदि हरे रंग का डिस्चार्ज बदबूदार हो, तो यह गंभीर समस्या हो सकती है।
4. भूरा डिस्चार्ज
भूरा डिस्चार्ज अक्सर पुराने रक्त का संकेत होता है और यह सामान्य हो सकता है यदि यह मासिक धर्म के बाद हो। हालांकि, अगर यह बिना किसी कारण के हो रहा हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
वाइट डिस्चार्ज के लक्षण क्या हैं? (White Discharge Symptoms)
वाइट डिस्चार्ज या ल्यूकोरिया के निम्नलिखित लक्षण होते हैं:
- कमर, हाथ-पैर में दर्द: अधिक मात्रा में सफेद पानी आने पर कमर और पैरों में दर्द महसूस हो सकता है।
- पेट में भारीपन महसूस होना: योनि क्षेत्र में भारीपन महसूस होना एक सामान्य लक्षण हो सकता है।
- प्राइवेट पार्ट में खुजली और जलन: यदि आपको प्राइवेट पार्ट्स में खुजली या जलन महसूस होती हो तो यह समस्या गंभीर हो सकती।
- बार-बार यूरिन जाना: लगातार यूरिन जाने की आवश्यकता महसूस होना भी एक संकेत हो सकता।
- कमजोरी और चक्कर आना: अधिक सफेद पानी आने पर कमजोरी और चक्कर आना भी संभव होता है।
- भूख में कमी: कुछ महिलाओं को भूख कम लगने की समस्या भी होती हैं।
- जी मिचलाना और आंखों के आगे अंधेरापन: जी मिचलाने जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती हैं।
- पिंडलियों में दर्द रहना: पिंडलियों में दर्द रहना भी एक आम लक्षण बन सकता हैं।
- असामान्य गंध: सफेद स्राव में तीव्र या दुर्गंधयुक्त गंध किसी संक्रमण का संकेत हो सकता है।
- पैल्विक दर्द या बेचैनी: स्राव के साथ पैल्विक क्षेत्र में दर्द या भारीपन संक्रमण या सूजन की ओर इशारा कर सकता है।
- पेशाब करते समय जलन या दर्द: यह लक्षण मूत्र मार्ग संक्रमण या जननांग क्षेत्र की सूजन से संबंधित हो सकता है।
- सेक्स के दौरान दर्द: यौन संबंध के दौरान दर्द होना जननांग संक्रमण, सूजन या सूखापन से जुड़ा हो सकता है।
वाइट डिस्चार्ज के कारण क्या हैं? (White Discharge Causes)
वाइट डिस्चार्ज के कई कारण हो सकते हैं उनमें से कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. बैक्टीरियल/ यीस्ट इंफेक्शन
योनि माइक्रोबायोटा में बदलाव – लैक्टोबैसिलाई में कमी और गार्डेनरेला जैसे एनारोब में वृद्धि – पतले, मछली जैसी गंध वाले स्राव का कारण बनती है। योनि में हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि से बैक्टीरियल वेजिनोसिस हो सकता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब योनि के प्राकृतिक बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है। यह अधिकतर स्वच्छता की कमी या असुरक्षित यौन संबंध के कारण होता है। कैंडिडा एल्बिकेन्स की अधिक वृद्धि से गाढ़ा, सफेद स्राव, खुजली और जलन होती है। इसकी वजह से वुल्वोवैजिनल कैंडिडिआसिस (यीस्ट संक्रमण) हो सकता है।
2. पीरियड्स के समय में बदलाव
महिला के मासिक धर्म चक्र में हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण वाइट डिस्चार्ज की मात्रा और गाढ़ापन प्रभावित हो सकता है। यह सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है लेकिन अधिकता चिंता का कारण हो सकती है।
3. सेक्स से पहले वाइट डिस्चार्ज
योनि में प्राकृतिक स्राव का बढ़ना सेक्स के लिए शरीर की तैयारी दर्शाता है। यह स्राव योनि को चिकना बनाकर सेक्स को अधिक सहज बनाता है। यह सामान्य और स्वस्थ प्रक्रिया का हिस्सा है।
4. दवाइयों का सेवन
एंटीबायोटिक्स या हार्मोनल गोलियों का अत्यधिक उपयोग योनि के बैलेंस को बिगाड़ सकता है। इससे वाइट डिस्चार्ज की मात्रा बढ़ सकती है। इन दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए।
5. असुरक्षित यौन संबंध
असुरक्षित यौन संबंध के कारण योनि में बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण हो सकता है। यह संक्रमण वाइट डिस्चार्ज को असामान्य बना सकता है और इसके साथ जलन या खुजली हो सकती है।
6. मल्टीपल पार्टनर का होना
अधिक यौन साझेदार होने से यौन संचारित रोगों का खतरा बढ़ जाता है। यह संक्रमण वाइट डिस्चार्ज के असामान्य रूप और मात्रा का कारण बन सकता है।
7. हार्मोनल या शारीरिक परिवर्तन
मासिक धर्म चक्र, गर्भावस्था या गर्भनिरोधक में उतार-चढ़ाव से सामान्य स्राव बढ़ सकता है।
सफेद पानी आने से क्या नुकसान होता है?
सफेद पानी आने से निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं:
- पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी): लंबे समय तक असामान्य सफेद स्राव पेल्विक अंगों में संक्रमण का संकेत हो सकता है, जो पीआईडी का कारण बन सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान जटिलताएँ: संक्रमण से संबंधित सफेद स्राव गर्भावस्था में समय से पहले प्रसव या कोरियोएम्नियोनाइटिस जैसी जटिलताओं की संभावना को बढ़ा सकता है।
- योनि में खुजली: अधिक मात्रा में सफेद पानी आने से योनि में खुजली और जलन महसूस हो सकती है।
- पेशाब करने में कठिनाई: इससे पेशाब करने में परेशानी आ सकती है।
- संक्रमण फैलने की संभावना:अगर इसे नजरअंदाज किया जाए तो यह गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है।
- मानसिक तनाव: लगातार इस समस्या से परेशान रहने पर मानसिक तनाव भी बढ़ सकता है।
वाइट डिस्चार्ज के घरेलू उपाय क्या हैं? (White Discharge Home Remedies)
वाइट डिस्चार्ज को नियंत्रित करने के लिए कुछ घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं:
1. नीम और तुलसी का सेवन और सिट्ज़ बाथ
नीम की पत्तियों में निम्बिडिन, एज़ाडिरेक्टिन और निम्बिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और सूजनरोधी गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। तुलसी में यूजेनॉल, उर्सोलिक एसिड और रोसमारिनिक एसिड होते हैं, जो इसके एंटीसेप्टिक और रोगाणुरोधी प्रभावों में योगदान करते हैं। तुलसी माइक्रोबियल लोड को प्रबंधित करने और प्रतिरक्षा मॉड्यूलेशन का समर्थन करने में मदद कर सकती है। प्रयोग: आप नीम की पत्तियों को उबालकर उसका पानी पी सकते हैं या तुलसी की चाय बना सकते हैं। गर्म नीम जल और तुलसी /हल्दी का सिट्ज़ बाथ – यह एक महत्वपूर्ण उपाय है, जो न केवल संक्रमण और सूजन को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है, बल्कि पेल्विक क्षेत्र और कमर के दर्द को भी शांत करने में मदद कर सकता है।
2. दही का सेवन
दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो शरीर की प्राकृतिक बैक्टीरिया संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसे नियमित रूप से खाने से लाभ मिलता है।ये बैक्टीरिया लैक्टिक एसिड का उत्पादन करने में मदद करते हैं, एक अम्लीय पीएच (~ 4.5) बनाए रखते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया और कवक के अतिवृद्धि को रोकता है। प्रयोग: प्रतिदिन 1 कप सादा, बिना चीनी वाला दही खाएं।
3. मेथी के बीज
मेथी के बीजों का सेवन करने से भी लाभ मिल सकता है। मेथी के बीजों में फाइटोएस्ट्रोजेन और सैपोनिन होते हैं, जो हार्मोनल संतुलन, विशेष रूप से एस्ट्रोजन विनियमन का समर्थन करते हैं।
प्रयोग: इन्हें पानी में उबालकर पीने से फायदा होता है। इसका पानी पीने या पेरिनियल वॉश के रूप में उपयोग किए जाएं तो ये सफेद स्राव और उससे जुड़ी खुजली जैसी समस्याओं की तीव्रता को कम करने में सहायक हो सकते हैं
4. धनिया पानी
प्रयोग: धनिया को उबालकर उसका पानी पीने से राहत मिलती है। धनिया एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है जो संक्रमण को कम करने में मदद करता है।
5. एप्पल साइडर विनेगर
प्रयोग: एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर को पानी में मिलाकर पीने से भी लाभ होता है। यह शरीर के pH स्तर को संतुलित करने में मदद करता है।
6. लहसुन का सेवन
लहसुन प्राकृतिक एंटीबायोटिक होता है और इसका सेवन संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है। लहसुन कैंडिडा संक्रमण और असामान्य स्राव से जुड़े अन्य रोगजनकों के खिलाफ प्रभावी हो सकता है।
प्रयोग: इसे कच्चा खाने या सब्जियों में डालकर खा सकते हैं।
7. आंवला
आंवला विटामिन सी, टैनिन, फ्लेवोनोइड्स और गैलिक एसिड से भरपूर एक शक्तिशाली इम्यूनोमॉड्यूलेटर है। ये फाइटोकेमिकल्स एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल क्रियाएं प्रदर्शित करते हैं जो शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा का समर्थन कर सकते हैं और योनि स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। आंवला का सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
प्रयोग: इसे चूर्ण या जूस के रूप में लिया जा सकता है।
8. नारियल तेल का उपयोग
नारियल के तेल में लॉरिक एसिड, कैप्रिक एसिड और मोनोलॉरिन होते हैं, जो अपने एंटीफंगल और सुखदायक गुणों के लिए जाने जाते हैं। यह विशेष रूप से स्राव से जुड़ी खुजली या जलन जैसे बाहरी लक्षणों को प्रबंधित करने में सहायक है। नारियल तेल को त्वचा पर लगाने से जलन और खुजली में राहत मिलती है।
प्रयोग: इसे सीधे प्रभावित क्षेत्र पर लगाया जा सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान वाइट डिस्चार्ज होने के कारण
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई शारीरिक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है, जिसमें हार्मोनल परिवर्तन शामिल होते हैं। गर्भावस्था के दौरान सफेद पानी आना सामान्य माना जाता है, लेकिन इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं:
- हार्मोनल परिवर्तन: गर्भावस्था के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे वाइट डिस्चार्ज की मात्रा बढ़ जाती है।
- शरीर की सुरक्षा: गर्भावस्था के दौरान योनि स्वच्छता बनाए रखने और संक्रमण से बचाने हेतु सफेद पानी निकलता रहता है।
- संक्रमण: कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान संक्रमण भी हो सकता है जो वाइट डिस्चार्ज को प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष
वाइट डिस्चार्ज एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है लेकिन जब यह असामान्य लक्षणों के साथ आए तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए । उचित देखभाल और घरेलू उपायों से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। अगर फिर भी समस्या बनी रहती है तो डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक होता है।
विशेषज्ञ उद्धरण
“जबकि कभी-कभी सफेद स्राव शारीरिक हो सकता है, बार-बार या बदबूदार स्राव गहरे असंतुलन का संकेत हो सकता है। आहार अनुशासन (पथ्य-अपथ्य), हर्बल उपचार और योगासन और प्राणायाम जैसे तनाव कम करने वाले अभ्यासों को एकीकृत करके ल्यूकोरिया जैसी स्थितियों का समग्र रूप से प्रबंधन किया जा सकता है। आंत और योनि स्वास्थ्य का आपस में गहरा संबंध है और इसका ध्यान अंतःविषय रूप से रखा जाना चाहिए।”
Dr. Kavya Rejikumar
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
यह सामान्यतः हार्मोनल परिवर्तन या संक्रमण या शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया के कारण होता है।
स्वच्छता बनाए रखें और घरेलू उपायों का उपयोग करें।
कुछ मामलों में पोषक तत्वों की कमी, जैसे आयरन या विटामिन की कमी, शरीर की सामान्य प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकती है।
जी हां, कमजोरी और तनाव भी इस समस्या को बढ़ा सकते हैं।
प्रोबायोटिक्स युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दही और फलों का सेवन करें।
यह योनि से निकलने वाला सामान्य तरल पदार्थ होता है जो शरीर की सफाई करता है।
यह संक्रमण या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है ; विशेषज्ञ की राय लेना उचित है।
बैक्टीरियल संक्रमण होने पर सफेद पानी बदबूदार हो सकता है।
यह आमतौर पर यौवन के दौरान शुरू होता है।
गाढ़ा सफेद या दूधिया रंग का डिस्चार्ज प्रेगनेंसी का संकेत हो सकता है।
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